सावन शिवरात्रि 2023 पूजा विधि कथा

सावन शिवरात्रि की महीमा का वर्णन शिव पुराण में किया गया है. सावन शिवरात्रि की कथा के अनुसार वाराणसी के जंगल में गुरुद्रुह नाम एक शिकारी रहता था. एक दिन जंगल में शिकार की तलाश में घूमते-घूमते सुबह से रात हो गई लेकिन उसे कोई शिकार नहीं मिला. उस दिन शिवरात्रि तिथि थी. वो जंगल में ही एक बेलपत्र के पेड़ पर आराम करने लगा, उस दिन शिवरात्रि तिथि थी, तभी उसने जंगल में हलचल सुनी, वहां एक हिरनी थी. उसने हिरनी को देख कर जैसे ही तीर चलाने की कोशिश की तभी एक बेलपत्र और बारिश से पेड़ पर जमा पानी नीचे स्थापित शिवलिंग पर गिर गया. शिकारी से अनजाने में शिवरात्रि के पहले प्रहर की पूजा हो गई. दूसरे प्रहर की पूजा- शिकारी ने हिरनी को देखकर जैसे ही तीर चलाने की कोशिश की, हिरनी की नजर शिकारी पर पड़ गई. हिरनी ने शिकारी से कहा कि घर में मेरे बच्चे मेरा इंतजार कर रहे हैं. हिरनी की बात सुनकर शिकारी ने हिरनी को छोड़ दिया. कुछ समय इंतजार करने के बाद हिरनी की बहन वहां से गुजरी. फिर गुरुद्रुह ने अपना धनुष और तीर चढ़ाया, दोबारा बेलपत्र और जल शिवलिंग पर जा गिरे. इस तरह दूसरे प्रहर की पूजा हो गई. उस हिरनी ने भी अपने बच्चों को सुरक्षित स्थान पर छोड़कर दोबारा आने की बात कही तो गुरुद्रुह को उस पर भी दया आ गई. कुछ समय इंतजार करने के बाद एक हिरन अपनी हिरनी को खोजता हुआ आया. फिर बेलपत्र और जल शिवलिंग पर जा गिरे यह प्रक्रिया शिकारी से अनजाने में हुई और तीसरे प्रहर में भी शिवलिंग का पूजन हो गया. हिरन ने भी हिरनि और अपने बच्चों को सुरक्षित स्थान पर छोड़कर दोबारा आने की बात कही और वहा से चला गया, कुछ देर के बाद तीनों हिरनी और हिरन शिकारी को किए वादे के अनुशार उसके पास आ गए. इन सभी को देखकर गुरुद्रुह बहुत खुश हो गया. वो सबको मारता उससे पहले चौथे प्रहर की पूजा भी संपन्न हो गई
shiv aarti lyrics-Om jai Shiv Omkara | ओम जय शिव ओंकारा भोलेनाथ की आरती इस सावन रोज गये सीवे शिव जी की आरती
  सुबह से रात तक बिना कुछ खाए पिए उससे अनजाने में शिवरात्रि का व्रत -पूजा किया. इस तरह अनजाने में उसे पापों से मुक्ति मिल गई और उसने हिरनों को मारने का विचार भी छोड़ दिया. जिसके प्रभाव से उसके पाप तत्काल भस्म हो गए। सूर्योदय होते ही उसने सभी हिरनों को मारने का विचार त्याग दिया. तभी शिवलिंग से भगवान शंकर प्रकट हुए और उसे वरदान देते बोले त्रेतायुग में भगवान राम उसके घर आएंगे साथ ही उसके बाद वह जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाएगा. मासिक शिवरात्रि का क्या है महत्व पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करता है और मासिक शिवरात्रि का व्रत करता है उसे भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही व्यक्ति के जीवन में सुख शांति भी बनी रहती है। Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि egram.co.in किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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